Wednesday, December 21, 2005

निजी संस्थानों में आरक्षण विधेयक पारित

निजी संस्थानों में आरक्षण विधेयक पारित

भारत के निजी शैक्षिक संस्थानों में आरक्षण संबंधी विधेयक लोक सभा से पारित हो गया है.
मतदान के दौरान भाजपा ने भी विधेयक का विरोध नहीं किया. हालांकि सदन में चर्चा के दौरान उसने इसका विरोध किया था.

संविधान में संशोधन संबंधी इस विधेयक को पारित करने के लिए दो तिहाई बहुमत की आवश्यकता थी.
लगभग सात घंटे चली चर्चा के बाद इस विधेयक के पक्ष में 331 मत पड़े और विरोध में केवल 17 मत पड़े.
भाजपा सदस्य विजय कुमार मल्होत्रा ने इस विधेयक में संशोधन पेश किए और उन्होंने उस पर मतदान का आग्रह किया लेकिन वो भी बहुमत के अभाव में पारित नहीं हो पाए.

"विधेयक को लेकर जो शंकाएँ जताई गईं हैं, उन सबका ध्यान रखा गया है
अर्जुन सिंह, मानव संसाधन मंत्री"

उन्होंने कहा कि इस विधेयक से 20 हज़ार छात्रों को आरक्षण मिलेगा लेकिन 50 हज़ार को नहीं मिल पाएगा.
मल्होत्रा ने आरोप लगाया कि भाजपा निजी शैक्षिक संस्थानों में आरक्षण की पक्षधर है. लेकिन मानव संसाधन मंत्री ने कभी यह नहीं कहा कि इसकी परिधि से अल्पसंख्यक संस्थान बाहर रहेंगे.
उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस देश को एक बार फिर विभाजन की ओर ले जा रही है.
इस पर मानव संसाधन मंत्री अर्जुन सिंह तैश में आ गए और उन्होंने कहा कि उन्होंने अपने जवाब में राजनीति का समावेश नहीं किया था.
उन्होंने कहा कि जिस शख्स ने देश का विभाजन कराया, उसे भाजपा नेता धर्मनिरपेक्ष बता रहे हैं. उनका इशारा भाजपा अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी की ओर था.
अर्जुन सिंह ने कहा कि विधेयक को लेकर जो शंकाएँ जताई गईं हैं, उन सबका ध्यान रखा गया है.


भाजपा का विरोध
विधेयक पर चर्चा की शुरुआत करते हुए भाजपा सदस्य अनंत कुमार ने लोक सभा में कहा कि सामाजिक न्याय के नाम पर यूपीए सरकार अनुसूचित जाति, जनजाति के लोगों के साथ अन्याय कर रही है.

"भाजपा निजी शैक्षिक संस्थानों में आरक्षण की पक्षधर है लेकिन मानव संसाधन मंत्री ने कभी यह नहीं कहा कि इसकी परिधि से अल्पसंख्यक संस्थान बाहर रहेंगे

विजय कुमार मल्होत्रा, भाजपा नेता"

उनका कहना था,'' अल्पसंख्यक संस्थानों को इस विधेयक से बाहर रखने से ये संस्थान पैसा बनानेवाले संस्थान बन जाएंगे.''
विधेयक को पेश करते हुए मानव संसाधन मंत्री अर्जुन सिंह ने आरक्षण को सामाजिक न्याय के लिए ज़रूरी बताया.


आरक्षण का पक्ष
सीपीएम नेता सुरेश कुरुप ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले से निजी संस्थानों को खुली छूट मिल गई है. उनका कहना था कि ये संस्थान राष्ट्रीय नीतियों की अनदेखी नहीं कर सकते हैं इसलिए विधेयक ज़रूरी है.
कांग्रेस के नेता चिंता मोहन ने कहा कि सरकार अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़ी जातियों को आरक्षण सुनिश्चित करना चाहती है.

"सरकार अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़ी जातियों को आरक्षण सुनिश्चित करना चाहती है.

चिंता मोहन, कांग्रेस सांसद"


समाजवादी पार्टी मोहन सिंह ने कहा कि यह समझना मुश्किल है कि कुछ पार्टियाँ इसका सदन में विरोध कर रही हैं जबकि बाहर इसका समर्थन कर रही हैं.
इसके पहले सरकार ने एनडीए के विरोध को देखते हुए निजी शैक्षिक संस्थानों में अनुसूचित जातियों और जनजातियों के आरक्षण के विधेयक टाल दिया था.
दरअसल भाजपा चाहती थी कि अल्पसंख्यक संस्थाओं सहित सभी निजी संस्थाओं में अनुसूचित जातियों,जनजातियों और पिछड़े वर्ग के प्रत्याशियों के लिए आरक्षण का प्रावधान हो.
जबकि सरकार इससे अल्पसंख्यक संस्थानों को बाहर रखा है.
ग़ौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने निजी इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेजों में दाखिलों के संबंध में अपने फ़ैसले में कहा था कि सरकार को इन संस्थानों में कोटा तय करने का अधिकार नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट की सात सदस्यीय खंडपीठ ने कहा था कि निजी कॉलेजों में प्रवेश का कोटा तय करने में सरकार की कोई भूमिका नहीं होनी चाहिए.

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