Friday, July 28, 2006
'निजी क्षेत्र में आरक्षण उचित नहीं'
'निजी क्षेत्र में आरक्षण उचित नहीं'
भारतीय उद्योग महासंघ यानी सीआईआई ने अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों के लिए निजी क्षेत्र में आरक्षण दिए जाने का विरोध करते हुए इसे अनुचित बताया है.
सीआईआई ने शुक्रवार को जारी अपनी एक रिपोर्ट में समाज के पिछड़े लोगों के लिए एक कार्य योजना की घोषणा भी की है.
चेन्नई में जारी इस रिपोर्ट में सीआईआई और भारत की उद्योग संस्था एसोचैम ने कहा है कि इस कार्य योजना के तहत देश के 10 विश्वविद्यालयों में 10 हज़ार विद्यार्थियों के लिए कोचिंग सेंटर खोले जाएँगे.
साथ ही तकनीकी और व्यवसायिक पाठ्यक्रमों की प्रवेश परीक्षा के लिए 10 कोचिंग सेंटर बनाने के लिए प्रतिबद्धता भी जताई गई है.
इसी वर्ष अप्रैल में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने निजी क्षेत्र से कहा था कि वे समाज के पिछड़े वर्गों को शामिल करने के लिए प्रयास करें.
इसके बाद ही टाटा स्टील के पूर्व अध्यक्ष जेजे ईरानी की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया जिसने शुक्रवार को अपनी रिपोर्ट जारी की.
'आरक्षण की संभावना नहीं'
ईरानी के साफ़ तौर पर कहा है कि निजी क्षेत्र में आरक्षण की कोई संभावना नहीं है. निजी क्षेत्र में नौकरियाँ जाति के आधार पर नहीं दी जाती हैं.
हालाँकि उन्होंने कहा कि उन्हें इस बात का एहसास है कि अनुसूचित जाति और जनजाति को प्रोत्साहित करना है और इसीलिए निजी क्षेत्र ने इस दिशा में एक कार्य योजना भी बनाई है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि संगठित निजी क्षेत्र में केवल 80 लाख लोग काम करते हैं.
ईरानी का कहना है कि अनुसूचित जाति और जनजाति के बारे में अधिक जानकारी और आँकड़े नहीं है लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि वे निजी क्षेत्र में काम नहीं कर रहे.
समिति ने कहा कि पहली बार भारतीय निजी क्षेत्र ने इस तरह पहल की है और आने वाले समय में वे अनुसूचित जाति और जनजाति के बारे में आंकड़े जमा करेंगे.
इससे पहले बुधवार को समिति ने अपनी रिपोर्ट प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और समाज कल्याण मंत्री मीरा कुमार को सौंपी.
औद्योगिक महासंघ के प्रतिनिधियों ने कहा कि उन्होंने कंपनियों को कहा है कि वे समाजिक संतुलन बनाने के लिए भरपूर प्रयास करें.
शुक्रवार, 28 जुलाई, 2006 को 15:40 GMT तक के समाचार
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