भारत के पूर्वी राज्य उड़ीसा में गुरूवार को 200 से ज़्यादा ईसाइयों ने फिर से हिंदू धर्म अपना लिया.
इस मौक़े पर भारतीय जनता पार्टी और कट्टरपंथीं संगठन विश्व हिंदू परिषद के अनेक नेता भी मौजूद थे.
उड़ीसा के पश्चिमी इलाक़े में झारसुगुडा में एक हिंदू मंदिर में इन लोगों का धर्म परिवर्तन हुआ.
इन आदिवासी ईसाइयों को पहले कुछ मंत्रों के ज़रिए 'शुद्ध' किया गया और फिर उन्हें औपचारिक तौर पर हिंदू घोषित कर दिया गया.
यह समारोह क़रीब चार लाख आदिवासी ईसाइयों को फिर से हिंदू धर्म में वापस लाने के विश्व हिंदू परिषद के अभियान का एक हिस्सा था.
परिषद के एक स्थानीय नेता अशोक सकूनिया ने बीबीसी से कहा कि धन का लालच देकर हज़ारों हिंदुओं को ईसाई बना दिया गया था इसलिए उन्हें इस मामले में दखल देने के लिए मजबूर होना पड़ा.
परिषद के इस अभियान में बजरंग दल और बनबासी कल्याण आश्रम जैसे कुछ संगठन और संस्थाएं भी साथ दे रही हैं.
केंद्र में भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार के एक मंत्री दिलीप सिंह जूदेव ने कहा है कि ईसाई मिशनरी समाज सेवा के बहाने भारत में धर्म परिवर्तन कराने का जो काम करते हैं उसे सहन नहीं किया जाएगा.
जब ईसाई संगठन ऐसे आरोपों का खंडन करते हैं.
झारसुगुडा के ज़िलाधिकारी ज्योति प्रकाश दास ने कहा कि इस धर्म परिवर्तन के लिए कोई सरकारी अनुमति नहीं दी गई.
"और न ही उड़ीसा धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम 1967 के प्रावधानों के तहत प्रशासन को इस बारे में सूचित किया गया."
उड़ीसा में हिंदुओं का ईसाई बनना लंबे समय से एक मुद्दा रहा है.
पिछले महीने ही छह महिलाओं सहित आठ लोगों को ख़ूब मारा पीटा गया लेकिन उन्होंने वापस हिंदू धर्म अपनाने से मना कर दिया.
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