Monday, October 27, 2003

बिहार के बोधगया में धर्मांतरण


बिहार के बोधगया में रविवार को धर्मांतरण के बाद 82 हिंदू बौद्ध धर्म में शामिल हो गए.
महाबोधि मंदिर में आयोजित भव्य समारोह में दीक्षा समारोह संपन्न हुआ. यह कार्यक्रम अखिल भारतीय बौद्ध महासंघ की बिहार शाखा ने आयोजित कराया था
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1999 से शुरू हुए इस कार्यक्रम में अब तक एक हज़ार लोगों को बौद्ध धर्म में शामिल किया गया है, जिनमें ज़्यादातर महाराष्ट्र और बिहार के दलित वर्ग के लोग हैं.
बीबीसी के साथ बातचीत में अखिल भारतीय बौद्ध महासंघ की बिहार शाखा के अध्यक्ष बदरी सिंह बौद्ध ने कहा कि धर्म परिवर्तन बिना लोभ-लालच के स्वेच्छापूर्वक हुआ.
उन्होंने कहा, "अगर धर्म परिवर्तन स्वेच्छा से हो रहा है, तो किसी को क्या विरोध हो सकता है? हमने किसी को लोभ-लालच नहीं दिया. वैसे भी बौद्धों की कोई जाति नहीं होती."
दूसरी ओर विश्व हिंदू परिषद की बिहार और झारखंड शाखा के क्षेत्रीय संगठन मंत्री रास बिहारी ने बीबीसी से कहा कि अगर इस धर्मांतरण का उद्देश्य हिंदू धर्म और परंपरा के प्रति दुष्प्रचार हुआ तो उनका संगठन इसका विरोध करेगा.
लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि वे बौद्ध धर्म को हिंदू धर्म से अलग नहीं मानते और हिंदू बौद्ध बनने के बाद भी हिंदू बने रहते हैं.
भव्य समारोह
इस साल महाबोधि मंदिर में दीक्षा कार्यक्रम भव्य स्तर पर संपन्न हुआ.

अगर धर्म परिवर्तन स्वेच्छा से हो रहा है, तो किसी को क्या विरोध हो सकता है? हमने किसी को लोभ-लालच नहीं दिया. वैसे भी बौद्धों की कोई जाति नहीं होती
अखिल भारतीय बौद्ध महासंघ


पहले जुलूस की शक्ल में लोग महाबोधि मंदिर के पास इकट्ठा हुए और फिर मंत्रोच्चार के बीच मंदिर की परिक्रमा की.
महाबोधि मंदिर के पुजारी भदंत प्रज्ञाशील ने दीक्षा समारोह संपन्न कराया.
इस मौक़े पर महासंघ की राष्ट्रीय अध्यक्ष सुशीला ताई उत्तम पाटकर और महासचिव वीजे गायकवाड़ के साथ 55 प्रतिनिधि मौजूद थे.
जिन 82 लोगों को बौद्ध धर्म में दीक्षित किया गया, उनमें से 20 महाराष्ट्र और बाक़ी बिहार के थे.
महासंघ की बिहार शाखा के अध्यक्ष बदरी सिंह बौद्ध ने बताया कि दीक्षा कार्यक्रम के लिए देश भर से आवेदन मँगाए जाते हैं, जिसके बाद महासंघ लोगों का चुनाव करता है.
इस आवेदन पत्र में लोग यह संकल्प लेते हैं कि वे स्वेच्छा से बौद्ध धर्म में शामिल होते हैं.

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