अनुसूचित जाति जनजाति विधेयक २००८ वापस होना चाहिए इसके कुछ प्रावधान असंवैधानिक तथा दलितों के अधिकारों के खिलाफ हैं।
प्रस्तावित विधेयक के अनुसार अनुसूचित जाति जनजाति के व्यक्ति विभिन्न 47 सरकारी संस्थानों में लाभान्वित नहीं हो सकते। इसके अलावा उन्हें भारतीय प्रबंध संस्थान, भारतीय तकनीकी संस्थान और भारतीय फैशन संस्थान वगैरह में भी जगह नहीं मिल सकती। यह सामाजिक समानता के विरूद्ध है तथा इससे संवैधानिक नियमों का भी उल्लघंन होता है।
विधेयक के प्रावधान के अनुसार 47 सरकारी संस्थानों में अनुसूचित जाति जनजाति के लोगों को आरक्षण का लाभ नहीं
आजादी के 61 वर्षो बाद ऐसी कौन सी परिस्थिति पैदा हो गयी कि आईआईटी, आईआईएम,एनआईटी और केन्द्रीय विश्वविद्यालयों के समूह-क वर्ग के प्रोफेसर आदि के पदों पर अनुसूचित जाति जनजाति के लोग कार्य नहीं कर सकते।
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