Friday, July 3, 2009

उत्तर प्रदेश में 'हाथियों' की माया

मुख्‍यमंत्री ने किया राजकोष का दुरुपयोग

कांशीराम सांस्कृतिक स्थल 80 एकड़ में फैला हुआ है और इसकी जमीन को स्मृति उपवन से लिया गया है। स्मृति उपवन में कारगिल के शहीदों की याद सँजोई गई है। कारगिल शहीदों के लिए आरक्षित जमीन से 80 करोड़ की कटौती का मामला भी हाईकोर्ट में जा चुका है। फिलहाल कांशीराम सांस्कृतिक स्थल पर खर्च के लिए 90 करोड़ रुपए आवंटित किए हैं। यहाँ पर भी कांशीराम और मायावती की मूर्तियाँ स्थापित की गई हैं।

डॉ। भीमराव अम्बेडकर सामाजिक परिवर्तन प्रतीक स्थल गोमती नदी के किनारे 2 एकड़ में बनाया गया है। यहाँ कांशीराम और मायावती की मूर्तियों को स्थापित किया गया है। इसकी कुल कीमत सात करोड़ बताई गई है, जबकि 12 करोड़ की लागत से कांशीराम यादगार विश्राम स्थल एक गेस्टहाउस के रूप में विकसित किया गया है।

बुद्ध स्थल आलमबाग स्थित वीआईपी रोड़ के पास 6000 वर्गमीटर में स्थित है। इसी स्थल में पत्थर के 100 स्तम्भ लगाए गए हैं जिनका सिर हाथी का है। इसकी कुल कीमत 90 करोड़ रुपए बताई गई है।

ईको पार्क 50 करोड़ की लागत से बनाया गया है।समतामूलक चौराहा और अम्बेडकर चौराहा के अन्तर्गत दो बड़े चौराहे और दो बड़ी क्रॉसिंग बनाई गई हैं और तीन दलित महापुरुषों की मुर्तियाँ स्थापित की गई हैं। इनकी लागत का पता फिलहाल नहीं चल सका है।

बुद्ध शांति उपवन कानपुर रोड पर 18 एकड़ में फैला हुआ पार्क है। इसमें संगमरमर की भगवान बुद्ध की प्रतिमा स्थापित की गई हैं।

इनके अलावा प्रेरणास्थल का निर्माण हुआ है, जहाँ मायावती, कांशीराम और अम्बेडकर की मूर्तियाँ स्थापित की गई हैं। इन दोनों निर्माण कार्यों की लागत भी नहीं पता चल पाई है।

नोयडा के सेक्टर 15-ए के सामने स्थित पार्क में बड़े पैमाने पर चल रहे निर्माण कार्य पर सरकार ने चुप्पी साध रखी है।

फिलहाल उपरोक्त सभी निर्माण कार्यों की कुल लागत 1515 करोड़ बताई गई है। यानी इन सबके निर्माण पर 15 अरब रुपए से ज्यादा खर्च किए जाने की सूचना है।


अब तक जो जानकारी मिल पाई है, उससे पता चलता है कि मुख्यमंत्री मायावती के प्रथम मुख्यमंत्रित्व काल से लेकर इस कार्यकाल तक (चौथा मुख्यमंत्रित्व काल) इस तरह के निर्माण कार्यों पर 2700 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं।

अब तक 46 मूर्तियों की स्थापना की जा चुकी है जिनमें सात मूर्तियाँ केवल मुख्यमंत्री मायावती की हैं। सभी स्मारकों में साढ़े पाँच लाख मीट्रिक टन लाल पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है। यह भी पता चला है कि प्रति वर्गमीटर निर्माण लागत करीब पाँच लाख रुपए है।

उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने पूरे राज्य में प्राइमरी और जूनियर हाईस्कूलों की बिल्डिंग निर्माण के लिए केवल 72 करोड़ रुपए आवंटित किए हैं। इंटरमीडिएट स्कूलों की इमारतों के निर्माण के लिए 35 करोड़ रुपए आवंटित किए। राज्य के जनस्वास्थ्य की रीढ़ प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र (पीएचसी) के लिए 85 करोड़ रुपए आवंटित किए हैं।

हालाँकि राज्य सरकार के वकील और बसपा के महासचिव सतीश चन्द्र मिश्र ने अदालत को यह बताने की कोशिश की कि स्मारकों का निर्माण जनहित का कार्य है और याचिका राजनीतिक पूर्वाग्रह से प्रेरित है। उनका कहना है कि कांग्रेस सरकार ने पाँच हजार करोड़ रुपए की मालकियत की तीन मूर्ति भवन पंडित नेहरू के लिए तथा राजघाट की छह हजार एकड़ जमीन नेहरू-गाँधी परिवार के लिए हमेशा के लिए सुरक्षित कर लिया है। क्या इसकी कीमत कांग्रेस को नहीं दिखाई देती?

भाजपा प्रवक्ता हृदय नारायण दीक्षित और लखनऊ के सांसद लालजी टंडन ने मायावती के इस कदम को आयकर दाताओं के पैसे को वोट बैंक के लिए इस्तेमाल करने का आरोप लगाते हुए कहा कि यह आम जनता का अपमान है।

उधर प्रमुख विपक्षी दल सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायमसिंह ने सत्ता में आने पर इन स्मारकों और मूर्तियों को ढहाए जाने के लिए बुल्डोजर चलवाने की घोषणा कर डाली है।

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