Friday, July 3, 2009

मुख्‍यमंत्री ने किया राजकोष का दुरुपयोग


मुख्‍यमंत्री ने किया राजकोष का दुरुपयोग
राजधानी लखनऊ में और नोयडा में बसपा सुप्रीमो मायावती द्वारा करीब 2700 करोड़ रुपए से स्थापित विभिन्न स्मारकों और मूर्तियों की स्थापना के सवाल पर अब राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट के घेरे में आ चुकी है।
मायावती जब भी सत्ता में आती हैं विकास कार्यों पर ध्यान देने के बजाय अम्बेडकर के नाम पर स्मारकों, कांशीराम के नाम पर स्मृति स्थलों और बहुजन समाज के नायकों- ज्योतिबा फुले, नारायण गुरू, शाहूजी महाराज, रमाबाई अम्बेडकर के नाम पर स्मारकों के विकास और इनसे संबंधित मूर्तियों की स्थापना में ज्यादा रुचि लेती हैं।हद तो तब हो गई जब मायावती ने बहुजन नायकों की मूर्तियाँ स्थापित करने के साथ ही खुद अपनी आधा दर्जन मूर्तियों को स्थापित करा दिया और प्रस्तावित 3 जुलाई की जगह आनन-फानन में 25 जून को खुद ही इन सभी का अनावरण भी कर दिया।


दरअसल मायावती का स्मारक और मूर्ति-प्रेम उनके दलित वोट बैंक राजनीति का एक रणनीतिक हिस्सा है और शुरू से ही इस पर सवाल उठते रहे हैं।सुप्रीम कोर्ट ने गत 29 जून को वकील रविकांत और सुकुमार की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति दलबीर भंडारी और अशोक कुमार गांगुली ने की खंडपीठ ने राज्य सरकार से पूरे मामले पर चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा है।


उत्तरप्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती का दलित प्रेम और मूर्तियों से प्यार अब उनके गले की फाँस बनता जा रहा है। याचिकाकर्ताओं ने मामले की सीबीआई से जाँच कराने तथा सार्वजनिक धन की भरपाई की जाने की माँग की है।


राजकोष का दुरुपयोग :


मायावती की दलित-शाहखर्ची तब और उजागर हो गई जब अपने पहले कार्यकाल में बनाए गए अम्बेडकर उद्यान को पूरी तरह ध्वस्त करा दिया और करोड़ों रुपए खर्च कर उसे फिर से बनवाया।


इसको लेकर के मीडिया और विपक्षी दलों में चर्चा होना स्वभाविक था। सभी विपक्षी दलों ने इसको दलित वोट बैंक के लिए राजकोष का दुरुपयोग बताया।


भीमराव अम्बेडकर सामाजिक परिवर्तन स्थल को 23 एकड़ में बनवाया गया था। इसका निर्माण मायावती के प्रथम मुख्यमंत्रित्व काल में शुरू हुआ था। शुरुआत में 10 करोड़ की लागत की प्रस्तावित यह योजना 2002 में पूरी हुई तब इसकी लागत 150 करोड़ रुपए थी।


मई 2007 में चौथी बार सत्ता में आने के बाद मुख्यमंत्री मायावती के आदेश पर इसको पूरी तरह तोड़ दिया गया।आसपास की जमीनों का अधिग्रहण कर लिया गया और बाद में इसका विकास 123 एकड़ में किया गया। अब इसका निर्माण कार्य पूरा हो गया हैं। इसकी गैलरी में दलित महापुरुषों की 6 मूर्तियाँ स्थापित की गईं और इसको जोड़ने वाले बंधा रोड पर मायावती समेत 12 महापुरुषों की मूर्तियाँ स्थापित की गईं। इसकी कुल कीमत अब 2000 करोड़ रुपए हो गई।


कांशीराम स्मारक स्थल का निर्माण 42 एकड़ पर करवाया गया है। जेल रोड स्थित इस स्मारक की लागत 370 करोड़ रुपए है। मायावती को अब यह छोटा लगने लगा है इसलिए पास स्थित तीन जेलों- महिला जेल, आदर्श करागार और जिला जेल को तोड़ने का आदेश दे दिया गया है। तीनों जेलें 80 एकड़ में विस्तारित हैं।योजना के मुताबिक इस स्मारक को विस्तार देते हुए पास की इस 80 एकड़ जमीन पर बनाया जाए। यहाँ की तीनों जेलों के कैदियों को शहर से 35 किलोमीटर दूर मोहनलालगंज की नवनिर्मित जेल में भेज दिया जाए, लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने इस पर रोक लगा दी है।कांशीराम बहुजन नायक पार्क 4800 वर्गमीटर में विस्तारित है। इसमें कांशीराम और मायावती की मूर्तियाँ स्थापित की गई हैं। इसकी कुल लागत 4 करोड़ रुपए है।रमाबाई अम्बेडकर रैली स्थल बिजनौर रोड पर 51 एकड़ में फैला हुआ है। इसको भी विस्तार देने की योजना है। आसपास के रिहायशी इलाकों को अधिग्रहीत करने की कार्यवाही शुरू कर दी गई है, लेकिन यह मामला भी स्थानीय निवासियों द्वारा हाईकोर्ट में ले जाया गया है। हाईकोर्ट ने फिलहाल अग्रिम कार्यवाही पर रोक लगा दी है। इसमें रमाबाई अम्बेडकर और डॉ। भीमराव अम्बेडकर की मूर्तियाँ स्थापित की गई हैं और इसकी कुल कीमत 65 करोड़ बताई गई है।


1 comment:

  1. bahut achchha kar rahi hai kyonki hum dalit jatav logo se or partiyon ko koi hadardi nahi hai ab bsp ki sarkar bane ya n bane lekin hamare dalit poorvaj logo ka naam to rahega

    ReplyDelete