Monday, March 30, 2009

माया की महामाया


माया की महामाया


अगर किसी के पास चांदी के पांच हजार, सोने के दस हजार और हीरे के सात सौ सतासी केवल मुकुट हों तो उसकी समूची दौलत का अंदाज आप कैसे करेंगे?
फिलहाल ये सारे मुकुट दलित शिरोमणि मायावती के खाते में हैं. दलितों की स्वयंभू मसीहा मायावती के साथ यह अन्याय पता नही क्यों किया जा रहा है कि ऐसी विकट मुकुटधारिणी होने के बावजूद उन्हें गिनीज बुक में शामिल नहीं किया गया है. यह मुकुटों की वह संख्या है जो खुद बहन जी ने अपनी संपत्ति के तौर पर घोषित की है और इसे अपने कार्यकर्ताओं के स्नेह का प्रतीक बताया है। खुद मायावती के अनुसार यह दौलत लगभग पंद्रह करोड़ रुपए की होगी।
इतना ही नही आयकर अधिकारियों के सामने अपने इस खजाने की घोषणा करने के बाद वे और रहीस हो गई हैं और इन मुकुटों में कम से कम दो सौ और जुड़ गए हैं।


बेचारी मायावती भी क्या करें? जहां जाती है लोग उन्हें मुकुट पहना देते हैं। उन्होंने दावा तो किया है कि वे एक दलित संग्राहलय बनाएगीं और सारे मुकुट उसमें रख देगीं लेकिन बहन जी का जो पिछला रिकॉर्ड है वह इस दावे पर भरोसा करने के लिए मन को अनुमति नही देता।जैसे उन्होंने दिल्ली के सरदार पटेल मार्ग पर 4.7 एकड़ का प्लॉट पार्टी कार्यालय के नाम पर खरीदा था और इसका दाम दो सौ करोड़ रुपए बताया था। राष्ट्रपति भवन के ठीक पीछे जहां यह प्लॉट है वहां जमीन का भाव दो सौ करोड़ रुपए प्रति एकड़ है। इस हिसाब से यह प्लॉट कम से कम एक हजार करोड़ का हुआ। आय कर विभाग इस संपत्ति का स्वतंत्र मूल्याकंन करवा रहा है। बाद में जैसा कि सारी संपत्तियों के साथ होता रहा है, पार्टी के नाम पर खरीदी गई संपत्तियां बहन जी या उनके परिवार के लोगों के नाम हो जाती हैं।


कम लोग जानते हैं कि एक जमाने में दिल्ली सरकार में अध्यापक की नौकरी करने वाली अब कनॉट प्लेस जैसे मंहगे इलाके में एक बहुमंजिली इमारत की मालकिन भी हैं। उन्होंने आय कर विभाग को बताया है कि उनके एक प्रशंसक और भक्त राम प्रसाद ने यह संपत्ति उन्हें भेंट की है। इन रईस राम प्रसाद का आय कर खाता जब निकाल कर देखा गया तो उसमें उनकी सालाना आमदनी दो लाख रुपए मात्र दर्ज थी। भक्ति में लोग क्या क्या नही करते। मायावती के अनुसार राम प्रसाद ने उन्हें भेंट करने के लिए इमारत बनाने के लिए कर्ज लिया है। मायावती जिस साल सिर्फ अठासी लाख रुपए का इन्कम पर टेक्स जमा करती हैं, उसी साल पांच करोड़ रुपए की संपत्तियां उनके पास आ जाती हैं।एक अप्रैल 1995 से तेइस अगस्त 2003 तक हर साल उन्होंने औसतन 90 लाख सालाना की आमदनी दर्ज करवाई है मगर अभी तक की जांच में पता चला है कि यह आमदनी सवा करोड़ रुपए के औसत से थी और जमीन जायदाद और जेवरात मिला कर इस अवधि में उनके पास नकद या संपत्ति के तौर पर सौ करोड़ रुपए पहुंचे। सरदार पटेल मार्ग की संपत्ति पहले पार्टी मुख्यालय के नाम से खरीदी गई थी मगर आय कर रिकॉर्ड में इसे श्रीमती मायावती की निजी संपत्ति दर्ज करवाया गया। बहन जी कुमारी से श्रीमती पता नही कब हो गईं। यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के खाता नंबर 9195, नई दिल्ली शाखा में दो करोड़ सताइस लाख रुपए जमा हैं और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की संसद मार्ग शाखा में तेइस लाख पैतालिस हजार रुपए जमा हैं। अपने पिता को अपनी उपेक्षा के लिए अपनी जीवनी में कोसने वाली बहन जी ने पुत्री का धर्म निभाया और पिता सहित परिवार के अन्य सदस्यों के पास ग्रैटर नोएडा और बुलंदशहर की बैंकों के खातों और फिक्स डिपोजिट के तौर पर ढाई करोड़ रुपए जमा हैं। मायावती की ज्यादातर संपत्ति तब जमा हुई जब वे या तो सत्ता में थी या सत्ता उनके समर्थन से चल रहीं थी। उनके गुरू और बसपा के संस्थापक कांशीराम के पास कभी इतनी दौतल नही रही. वे तो पूरी जिंदगी दिल्ली के मूलत: शरणार्थी इलाके करोल बाग के रेगरपुरा में एक छोटे से मकान में रहते रहे और बहुत बाद में सरकारी बंगले में पहुंचे। उन्होंने जो भविष्यवाणी की थी उसे उनकी शिष्या ने सच कर दिखाया है। आय कर विभाग ने मायावती के सारे रिकॉर्ड केन्द्रीय जांच ब्यूरो को सौंप दिए हैं और सीबीआई इन की पडताल कर चुकी है। बसपा के ब्राह्मण चेहरे और बहन जी के वकील सतीश चन्द्र मिश्रा इन सब आरोपों को गप्प बताते हैं और उनका दावा है कि अदालत में सब कुछ साफ हो जाएगा। उन्हें यह भी आपत्ति है कि जांच एजेंसियां इन निजी दस्तावेजों को जान बूझ कर सार्वजनिक कर रही हैं और इससे सुश्री मायावती की छवि भी बिगाड़ना चाहती हैं।आयकर अधिकारियों के अनुसार पूरे उत्तर प्रदेश में संपत्तियां पहले पार्टी कार्यालय, कार्यकर्ता केन्द्र या दलित सामुदायिक केन्द्र के नाम से खरीदीं गई मगर बाद में इन्हें बहन जी या उनके परिवार के नाम कर दिया गया। कुल मिला कर इस कहानी का सार यह है कि मायावती ने दलितों के साथ अपना भी उत्थान किया है और उनके इस कारनामे को सिर्फ आय कर के रजिस्टरों तक सीमित रखने की बजाय रिकॉर्ड पुस्तकों में भी जाना चाहिए। मायावती दिल्ली केन्द्रीय क्षेत्र में आय कर भरती हैं और इस साल के रिटर्न में उन्होंने बारह करोड़ पचास लाख रुपए का टैक्स भर दिया है और चौदह करोड़ सत्तर लाख का एडवांस टैक्स भी दो किस्तों में दे दिया है। ऐसे आदर्श करदाता का तो विभाग द्वारा नागरिक अभिनंदन किया जाना चाहिए।
(आलोक तोमर वरिष्ठ पत्रकार और डेटलाईन इंडिया के संपादक हैं.)

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